सच्चे विकास पुरोधा बने शिवराज सिंह चौहान

आठ साल से मुख्यमंत्री पद पर आसीन शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा ने दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी को दो तिहाई बहुमत के करीब पहुंचा दिया। वह प्रदेश में भाजपा की हैट्रिक के बाद पार्टी में प्रधानमंत्री पर के बीजेपी उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के रुप में उभरे हैं। मध्य प्रदेश में लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने जा रही बीजेपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक सफल प्रशासक के साथ ही बेहद विनम्र और मिलनसार राजनेता के रूप में पहचाना जाता है।चुनाव नतीजों की तस्वीर साफ होने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार ने भी इसके संकेत देते हुए कहा कि चौहान अब आशा आकांक्षा और प्रदर्शन के प्रतिमान बन गये हैं ओर आगामी लोकसभा चुनावों में चौहान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से 1972 में संपर्क में आए चौहान ने 1975 में आपातकाल के आंदोलन में भाग लिया और भोपाल जेल में निरूद्ध रहे। भाजयुमो के प्रांतीय पदों पर रहते हुए उन्होंने विभिन्न छात्र आंदोलनों में भी हिस्सा लिया।
शिवराज की हैट्रिक
उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री के बतौर 29 नवंबर 2005 को पहली बार शपथ लेने वाले चौहान यहां लगातार दूसरी बार 2008 में भी मुख्यमंत्री रहे और पार्टी की घोषणा के अनुसार चौदहवीं विधानसभा में बहुमत पाकर सरकार में आने पर वह लगातार तीसरी बार इस पद की शपथ लेने जा रहे हैं।
1990 में पहली बार बने विधायक
चौहान वर्ष 1990 में पहली बार बुदनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे। इसके बाद 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उन्होंने लखनऊ सीट को रखा था और विदिशा से इस्तीफा दे दिया था। विदिशा में पार्टी ने शिवराज को प्रत्याशी बनाया और वह वहां से पहली बार सांसद बने।
सीहोर जिले में हुआ जन्म
नर्मदा किनारे बसे सीहोर जिले के जैत गांव के किसान पे्रमसिंह चौहान के घर में 09 मार्च 1959 को जन्में चौहान ने भोपाल के बरकतउल्ला विश्व विद्यालय से स्नातकोत्तर की परीक्षा में स्वर्ण पदक हासिल किया था। चौैहान ने अपनी राजनीति की शुरूआत 91-92 में अखिल भारतीय केसरिया वाहिनी के संयोजक बन कर की।1992 में वह अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव बने। सन् 1992 में भाजपा के प्रदेश महासचिव नियुक्त होने के साथ ही वह वर्ष 1992 से 1996 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति, 1993 से 1996 तक श्रम और कल्याण समिति तथा 1994 से 96 तक हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य रहे। वर्ष 1996 में वह विदिशा संसदीय क्षेत्र से पुन: सांसद चुने गए। सांसद के रूप में 1996-97 में वह नगरीय व ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास विभाग की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे। वर्ष 1998 में वह विदिशा से ही तीसरी बार लोकसभा सदस्य चुने गए। वह 1998-99 में प्राक्कलन समिति के सदस्य रहे। 1999 में वह विदिशा से चौथी बार लोकसभा के लिए फिर चुने गए और 1999-2000 में कृषि समिति के सदस्य तथा 1999-2001 में सार्वजनिक उपक्रम समिति के सदस्य रहे। साल 2000 से 2003 तक भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पार्टी की युवा इकाई को मजबूत किया। इस दौरान वे सदन समिति :लोकसभा: के अध्यक्ष तथा भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी रहे। वह 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहने के साथ ही पांचवीं बार विदिशा से लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वह वर्ष 2004 में कृषि समिति, लाभ के पदों के विषय में गठित संयुक्त समिति के सदस्य, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, भाजपा संसदीय बोर्ड के सचिव, केन्द्रीय चुनाव समिति के सचिव तथा नैतिकता विषय पर गठित समिति के सदस्य और लोकसभा की आवास समिति के अध्यक्ष रहे।
कई अहम समितियों के सदस्य भी रहे
चौहान 1991-92 में अखिल भारतीय केसरिया वाहिनी के संयोजक और 1992 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव बने। वर्ष 1992 से 1994 तक बीजेपी के प्रदेश महासचिव नियुक्त होने के साथ ही वह वर्ष 1992 से 1996 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति, 1993 से 1996 तक श्रम और कल्याण समिति तथा 1994 से 1996 तक हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य रहे। ग्यारहवीं लोकसभा में वर्ष 1996 में वह विदिशा संसदीय क्षेत्र से दोबारा सांसद चुने गये। सांसद के रूप में 1996-97 में वह नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास विभाग की परामर्शदात्री समिति तथा नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति के सदस्य रहे।
विदिशा में शिवराज का जबरदस्त जनसमर्थन
वर्ष 1998 में वह विदिशा संसदीय क्षेत्र से ही तीसरी बार बारहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये। वह 1998-99 में प्राक्कलन समिति के सदस्य रहे। 1999 में वह विदिशा से लगातार चौथी बार तेरहवीं लोकसभा के लिए एक बार फिर चुने गए और 1999-2000 में कृषि समिति के सदस्य तथा 1999-2001 में सार्वजनिक उपक्रम समिति के सदस्य रहे।
पार्टी की युवा इकाई को किया मजबूत
साल 2000 से 2003 तक भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पार्टी की युवा इकाई को मजबूत करने के लिए मेहनत की। इस दौरान वे सदन समिति (लोकसभा) के अध्यक्ष और बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव भी रहे। वह 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहने के साथ ही पांचवीं बार विदिशा से चौदहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
वह वर्ष 2004 में कृषि समिति, लाभ के पदों के विषय में गठित संयुक्त समिति के सदस्य, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव, बीजेपी संसदीय बोर्ड के सचिव, केन्द्रीय चुनाव समिति के सचिव और नैतिकता विषय पर गठित समिति के सदस्य और लोकसभा की आवास समिति के अध्यक्ष रहे।
2005 में बने सीएम
वर्ष 2005 में चौहान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नियुक्त किए गए और उन्हें 29 नवंबर 05 को उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी गई। प्रदेश की तेरहवीं विधानसभा के निर्वाचन में चौहान ने भाजपा के स्टार प्रचारक की भूमिका का बखूबी निर्वहन कर पार्टी को दूसरी बार विजय दिलाई। उन्हें 10 दिसंबर 08 को पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसम्मति से नेता चुना और उन्होंने 12 दिसंबर 08 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में एक सार्वजनिक समारोह में मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की। विकास और स्वच्छ छवि के लिए मध्य प्रदेश की जनता में लोकप्रिय शिवराज ने 2013 के विधान सभा के चुनाव में लगातार तीसरी बार भाजपा को जीत दिलाई है। खुद शिवराज सिंह चौहान इस बार विदिशा और बुधनी से भारी मतों से विजयी हुए।
विकास और स्वच्छ छवि के लिए लोकप्रिय
प्रदेश की तेरहवीं विधानसभा के निर्वाचन में चौहान ने बीजेपी के स्टार प्रचारक की भूमिका का बखूबी निर्वहन कर पार्टी को लगातार दूसरी बार विजय दिलाई। उन्हें 10 दिसंबर 2008 को पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसम्मति से नेता चुना और उन्होंने 12 दिसंबर 2008 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित सार्वजनिक समारोह में मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की। विकास और स्वच्छ छवि के लिए मध्य प्रदेश की जनता में लोकप्रिय शिवराज ने लगातार तीसरी बार बीजेपी को जीत दिलाई है।